खरसिया : रेल्वे कॉरिडोर निर्माण में छले गये ग्रामीण किसान, नाराज किसानों ने रोका रेल

Kunkuni Railखरसिया [Kharsia News] : खरसिया से धरमजयगढ़ के बीच बन रहे रेल कारिडोर [Kharsia Dharamjaigarh Rail Corridor] के कार्य को किसानों ने बानीपाथर में रुकवा दिया है। मिली जानकारी के अनुसार किसान मुआवजा के आश्वासन को पूरा नहीं करने से नाराज है। वहीं मामले की खबर मिलने के साथ ही खरसिया पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी और किसानों को समझाने का कार्य कर रही थी। लगभग एक घंटे पहले शुरू हुए आंदोलन और प्रशासन के समझाईश का कोई असर फिलहाल किसानों पर नहीं दिख रहा था, फिलहाल कारिडोर निर्माण का कार्य रुका हुआ है। किसानों का आंदोलन जारी था। किसानों का कहना है कि प्रशासन की ओर से प्रभावितों को दिए गए एक भी आश्वासन को पूरा नही किया गया है।

खरसिया-धर्मजयगढ़ रेल्वे कॉरिडोर [Kharsia Dharamjaigarh Rail Corridor]  निर्माण में छले गये ग्रामीण किसान, प्रसाशन से पूछा कि क्या हुआ तेरा वादा? नाराज किसानों ने रोका रेल कारिडोर का कार्य आश्वासन के बाद भी मुआवजा नहीं देने का आरोप, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठे सवाल।

अब तक बार-बार गुहार लगाई जाती रही है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है ऐसे में परेशान होकर बानी पाथर और अमराई के किसानों ने रेल कारिडोर निर्माण कार्य को रोका है। किसानों का कहना है कि अभी तक प्रशासन की ओर से उन्हें पूरक मुआवजा नहीं दिया गया है। जब इसकी मांग की गई तो आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही प्रदान किया जाएगा। पर कई माह बीतने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसके अलावा मुआवजा के अतिरिक्त जो भूमि का अधिग्रहण किया गया है उसकी भी राशि नहीं मिल सकी है।

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बिना मुआवजा काट दिया पेड़ : किसानों का आरोप है कि रेल कारिडोर के निर्माण में जिस किसान की जमीन आ रही थी और उसमें पेड़ लगे हुए थे उसे बिना किसान की सहमति और बिना कोई मुआवजा दिए ही काट दिया गया है। ऐसे में किसान अपने जमीन में काटे गए पेड़ों का मुआवजा मांग रहे है।

कहा था बोनस देंगे…क्या हुआ तेरा वादा? : रेल्वे कॉरिडोर का काम रोको आंदोलन कर रहे किसानों ने बताया कि प्रशासन की ओर से रेल कारिडोर में प्रभावित किसानों के परिवार में एक एक वयस्क को पांच लाख रुपए बोनस देने की बात कही गई थी। बकायदा इसके लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने का आश्वासन भी दिया गया था। पर आज तक ऐसा नहीं हो सका है। वहीं प्रभावित क्षेत्र में कई किसानों की जमीन डूबान में आ रही है। जिसके कारण उनकी फसल चौपट हो गई है, ऐसे में किसानों का कहना है कि फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाए और पानी निकासी की व्यवस्था की जाए ताकि उनकी फसल सही सलामत रह सके।

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जब किसानों ने किया आंदोलन तो नींद से जागा प्रशासन विदित हो कि रेल कारिडोर का निर्माण प्रशासन के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। इस कारिडोर निर्माण की बेचैनी को इससे भी समझा जा सकता है कि घरघोड़ा ब्लाक के कटंगडीह में कारिडोर निर्माण के कार्य को प्रारंभ करवाने के लिए वहां के एसडीएम (आई ए एस) विनित नंदनवार ने किसानों की खड़ी फसल पर पोकलेन चलवा दिया था। बकायदा वहां के किसान भी इस कारिडोर निर्माण के विरोध में पिछले कई दिनों से लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

ऐसे में खरसिया ब्लाक के बानी पाथर में काम रोको आंदोलन के शुरू होने के साथ ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का दल मौके पर तुरंत पहुंच गया था। किसानों को समझाईश दी जा रही थी पर किसान पुराने वादे और आश्वासन को तुरंत पूरा करने की मांग को लेकर अड़े हुए थे। बातचीत का कोई हल नहीं निकल सका था।

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किसानों के ऊपर संकट के बदल तो नेताओं ने किया किनारा……क्या हुआ तेरा वादा? जब खरसिया से धर्मजयगढ़ तक रेल्वे कॉरिडोर का निर्माण हुआ तो किसानों सहित क्षेत्रवाशियों बड़े बड़े सपने दिखाये गये बड़े बड़े वादे किए गए पहले तो किसानों को चार गुना मुआवजा मिलने की बात कही गई किसानों एवं प्रभावित किसानों को बताया गया कि उनको शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा राशि 6-8-10 का चार गुना मुआवजा दिया जायेगा जिस किसान की जमीन बंजर थी उसे भी प्रति एकड़ 24 लाख रुपये दिए जाने का सपना तो एक फसली को 32 लाख वहीं 2 फसली जमीन के बदले 40 लाख मुआवजा का सपना दिखाया गया। साथ ही प्रत्येक प्रभावित परिवार के वयस्क सदस्यों को 5 लाख प्रति वयस्क मुआवजा का सपना दिखाया गया। जिस कारण दावा आपत्ति के समय मुंगेरी लाल के हसीन सपनो में खोए किसानों ने भी कोई आपत्ति भूअर्जन की प्रक्रिया में नही लगाई जिन्होंने आपत्ति दर्ज कराई उनको भी गोलमोल जवाब के साथ निरस्त कर दिया गया। जब किसानों को मुआवजा मिला तो सरकार के पुराने नियमो के आधार पर 6-8-10 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिला मुआवजे का निर्धारण सुनके किसानों के आँखों से चश्मे तो सिर से पगड़ी खिसक गई उन्होंने उक्त मुआवजा निति में अपने आपको छला हुआ महसूस करते हुए काम रोको आंदोलन का आगाज किया, ग्रामभेलवाडीह, बरभौना (खरसिया ), पुसल्दा, आमापाली (धर्मजयगढ़), कटंगडीह, (घरघोड़ा) में प्रभावित किसानों ने काम रोको आंदोलन का सुरुआत किया।

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लगभग एक माह तक बैठकों एवं समझाईस का दौर चला किसानों ने काम रोको आंदोलन के तहत रेल्वे कॉरिडोर का काम बंद कर दिया। जब मामले को मीडिया ने गम्भीरता से उठाया तो प्रसाशनिक अमले में हलचल शुरू हुआ। उनके द्वारा मान मनोवल्ल का दौर शुरू किया।राजनेताओं की तरह किसानों को झूठा आस्वासन दे के आंदोलन स्थगित कराया गया इसके लिए बाकायदा खरसिया विधायक उमेश पटेल की अगुवाई, प्रसाशन की तरफ से अपर कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया तो बीजेपी के तरफ से श्रीचंद रावलानी सहित अनेक स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं तात्कालिक sdm खरसिया बी एस मरकाम भी शामिल हुए । किसानों को बड़े बड़े वादों का घोल पिलाया गया एवं आंदोलन को यह कहकर स्थगित किया गया कि अगर किसानों को निर्धारित समयावधि तक मुआवजा, बोनस सहित अन्य मांगों को पूरा नही किया जायेगा तो फिर से आंदोलन होगा । किसानों ने झूठे आस्वासन को सच मानकर आंदोलन समाप्त किया प्रसाशन द्वारा एक माह में किसानों को पूरक मुआवजा, बोनस देने लिखित आस्वासन दिया एवं युद्ध स्तर में किसानों की जमीन पर कब्जा ले के निर्माण प्रारम्भ किया। बकायदा दोनों राजनितिक दलों के नेताओ को खुश करने मिट्टी फिलिंग सहित अन्य ठेका दिया गया। जिसके बाद नेताओं के मुंह में ताले लग गए है।

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क्या दिखावे के लिए किया आंदोलन? या फिर टीआरपी बढ़ाने राजनीतिक स्टन्ट? जब किसानों को निर्धारित समयावधि के बाद भी पूरक मुआवजा एवं बोनस नही मिला तो किसानों के द्वारा फिर से काम रोको आंदोलन प्रारम्भ किया गया जिसपर ग्राम बरभौना में किसान आंदोलन को समर्थन करने पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल दर्जनों कांग्रेस के वर्तमान एवं पूर्व विधायकों के साथ पहुचें एवं किसानों को उनका हक दिलाने सदन में आवाज उठाने एवं आरपार की लड़ाई लड़ने का घोषणा किये किन्तु यह सिर्फ आश्वासन ही रह गया आज जब किसानों को पूरक मुआवजा अनेक किसानों को प्रारम्भिक मुआवजा नही मिला है न ही किसी प्रभावित किसान को बोनस भी नही मिला है । इतना ही नही ग्राम भेलवाडीह में भी पूर्व मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ अजित प्रमोद जोगी की सभा आयोजित की गई उनके साथ भी वर्तमान एवं पूर्व कांग्रेस के दिग्गज नेता आये उन्होंने भी किसानों के अधिकार एवं मुआवजा,बोनस के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने का आश्वासन दिया लेकिन दोनों ही नेताओं का आंदोलन महज एक राजनितिक स्टंट के शिवाय कुछ भी नही लगता है । पीड़ित एवं प्रभावित किसानों के द्वारा स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव साय को भी लिखित एवं मौखिक अपनी समस्याओं से अवगत कराया लेकिन रोज नए नए नियम कायदे बताते हुए किसानों को न तो पूरक मुआवजा ही दिया जा रहा है न ही बोनस भी दिया जा रहा है । बल्कि उल्टे किसानों के खड़ी फसलों को पोकलेन से रौंद दिया जा रहा है।

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प्रशासनिक आतंक के साए में हो रहा रेल्वे कॉरिडोर का निर्माण – गोपाल सिंह जूदेवखरसिया के प्रभावित किसान एवं गाँधीवादी नेता गोपाल सिंह जूदेव ने मिडिया के समक्ष आरोप लगाया है कि उक्त रेल्वे कॉरिडोर का निर्माण प्रसासनिक आतंक के साए में किया जा रहा है जब छत्तीसगढ़ के मूल निवाशियों को उनके पूर्वजों के भूमि का न तो सम्मान जनक कीमत दिया जा रहा है न ही पूरक मुआवजा न ही बोनस दिया जा रहा जबकि रेल्वे एवं SECL के द्वारा उक्त परियोजना में 90% की भागीदारी है तो केंद्रीय परियोजनाओं के क्रियान्वयन अथवा भूमि अधिग्रहण के दौरान प्रभावित परिवार के कम से कम एक सदस्य को नॉकरी दिया जाना चाहिए किन्तु उनके साथ छलावा किया गया है।

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डूबते को तिनके का सहाराछले गये किसानों को न्यायालय का सहारा, अब जब पीड़ित प्रभावित किसानों को न्याय नही मिल रहा है वो अपने आपको नेताओं एवं प्रसाशन द्वारा छला हुआ महसूस कर रहे है तो हाईकोर्ट की शरण में जाने मजबूर है।

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