क्या खरसिया के भाजपाई ओपी को स्वीकार करेंगे – मटका स्पेशल

OP Choudhary vs Umesh Patel

कौन बनेगा ओपी के विजय रथ का सारथी….?

कलेक्ट्री छोड़ नेतागिरी के पैरासुट से खरसिया विधानसभा में उतरने वाले ओपी चौधरी की ओर स्वाभाविक दावेदार नरेश पटेल, कमल गर्ग और विजय किरोड़ीमल की निगाहें टिक गई हैl जातिगत समीकरण औऱ सक्रियता के मद्देनजर जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश पटेल की दावेदारी खरसिया नपा अध्यक्ष कमल गर्ग व विजय किरोड़ी की तुलना में कही ज्यादा हैl

नन्दकुमार ने नरेश पटेल को निपटाने कई सियासी चाले चली

दरअसल खरसिया की राजनीति में नन्दकुमार को देख पूँछ दबाने वाले भाजपाई की संख्या बहुत है लेकिन खरसिया में अकेले नरेश पटेल एकमात्र ऐसे भाजपाई रहे जिन्होंने नन्दकुमार पटेल के सामने आंखे तरेर कर राजनीति कीl खरसिया सियायत के जानकारों को मानना है कि नन्दकुमार ने नरेश पटेल को निपटाने कई सियासी चाले चली लेकिन नरेश पटेल हमेशा मात देने में सफल रहेl नरेश पटेल के सरपंच रहते अविश्वास प्रस्ताव लाकर घेरने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नही मिलीl

बस बेसहारा लोगो की हर सम्भव सहायता के लिए नरेश पटेल ही खड़े नजर आते है

जाति गत समीकरण के आधार पर भी नरेश पटेल का दावा कमल गर्ग व विजय किरोड़ी से अधिक मजबूत हैl रायगढ़ विधानसभा में अग्रवाल प्रत्याशी होने की वजह से भी खरसिया में अग्रवाल प्रत्याशी बनाये जाने की संभावना कम ही हैl दो दशक से भाजपा में सक्रिय नरेश पटेल युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष कार्यालय मंन्त्री जिला युवा मोर्चा रायगढ़ के बाद मंडल अध्यक्ष भी रहेl 2005 में वे सरपंच बन कर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष की कुर्सी तक अपनी लोकप्रियता के दम पर पहुंचेl बेबस बेसहारा लोगो की हर सम्भव सहायता के लिए नरेश पटेल ही खड़े नजर आते हैl

जिले में ऐसा ऐतिहासिक विरोध शायद किसी का न हुआ हो

सन 2002 के दौरान 1100 एकड़ में भूषण स्टील की नींव नरेश पटेल के विरोध की वजह से जम नही पाईl बाद में संयंत्र अंगुल में स्थापित हुआl 27 गांवो के लोगो की अगुवाई में नरेश पटेल ने इस संयंत्र के खिलाफ बिगुल फूँका थाl जिले में ऐसा ऐतिहासिक विरोध शायद किसी का न हुआ होl जिले भाजपा के बड़े नेता नही चाहते थे कि नरेश पटेल को खरसिया में आजमाया जाएl भाजपा ने यह सीट कांग्रेस को दहेज में दे दी हैl भाजपा ने इस सीट को कभी गंभीरता से नही लियाl यह विधानसभा भाजपा के लिए प्रत्याशी की घोषणा से लेकर चुनाव परिणाम तक महज एक रस्म अदायगी बन कर रह गई थीl वर्तमान जिला अध्यक्ष जवाहर नायक को खरसिया में उतारकर जिले भर के पिछड़ा वर्ग एवं अघरिया मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई थीl जवाहर नायक खरसिया विधानसभा की गलियों से भी अनजान रहेl जवाहर नायक खरसिया की आबो हवा परिस्थितयो से बिलकुल अनजान थे उसके बाद उन्हें 40 हजार मत मिले थे l

नन्दकुमार के निधन से उपजी सहानुभूति भी भाजपा के लिये बड़ी रुकावट रही l

पिछले चुनाव की तुलना में इस बार स्थितियां बहुत तेजी से बदली है l राज्य एवं केंद्र की बहुत सी योजनाये ऐसी है जिसका आम जनता को सीधा लाभ मिला है l उज्जवला योजना के तहत गैस वितरण मोबाईल वितरण प्रधानमंत्री आवास योजना कृषि उपजो के न्यूनतम मूल्य में वृद्धि का सीधा लाभ भाजपा को मिल रहा है l

ओपी चौधरी के चुनावी रथ के स्वाभाविक सारथी नरेश पटेल होंगे जो ओपी के विजय रथ को बड़ी आसानी से विधानसभा के जीत के लक्ष्य तक पहुँचा सकते है l नन्दकुमार के निधन व डॉ नायक के स्वास्थ्य गत कारणों से निष्क्रिय होने की वजह से अघरिया समाज की निगाहें अब उमेश पटेल पर टिकी हुई थी l

कांग्रेस की सरकार और उमेश पटेल की जीत से उनके मंन्त्री बनाये जाने की प्रबल संभावना से इनकार नही किया जा सकता l लेकिन ओपी के मैदान में आने से अघरिया मतदाताओं के पास बेहतर विकल्प मौजूद है l ओपी यदि पहले प्रयास में जीत जाते है तो पार्टी उन्हें गृह विभाग जैसे विभाग का दायित्व देने से भी परहेज नही करेगी l खरसिया वालो के पास पहले उमेश पटेल के रूप में खरा सोना था लेकिन अब भाजपा से ओपी चौधरी के विकल्प के रूप में उन्हें हीरा मिल रहा है l आम जनता सोना खोकर हीरा हासिल करने का मौका क्यो गवाना चाहेगी?

उमेश पटेल ने पहला चुनाव पिता के निधन की सहानुभूति की वजह से बड़े अंतर से जीता l इन पांच बरस के कार्यकाल मे वे करिश्माई नेता के रूप में स्थापित नही हो पाए लेकिन इन पांच बरसो में कलेक्टर रहते ओपी चौधरी की क्षमता को जनता ने नजदीक से देखा है और व्यक्तिगत लोकप्रियता के पैमाने पर वे कांग्रेस प्रत्याशी की तुलना में पच्चीस बैठेंगे l 50% युवाओ की आबादी वाले इस विधानसभा में वे यूथ आइकॉन बने हुए है l युवाओ में ओपी का क्रेज है l उनके इस्तीफे के साथ बड़े नेताओं की बयानबाजी से स्पष्ट है कि इस विधानसभा को लेकर खलबली मची हुई हैl

Credit – गणेश अग्रवाल (9630188888)

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