हिन्द एनर्जी व सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर संदेह के दायरे में? जन चेतना ने की सीबीआई जाँच की मांग|
जाँच रिपोर्ट में बताया गया कि संतोष गौतम भागीदार सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपने व फर्म के नाम पर आदिवासीयों की लगभग ३० हेक्टेयर जमीन क्रय की| सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म का कोई दस्तावेज जमीनों की रजिस्ट्री के समय नहीं लगाया गया| तहसीलदार कोटा जिला बिलासपुर के अनुसार संतोष गौतम की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है और न ही उसके नाम से कोई अचल सम्पति है| संतोष गौतम ने २०१० से २०१४ के दरम्यान लगभग दो करोड़ बीस लाख रूपये की जमीन खरीदी की | लेकिन २०१० से २०१२ की आमदनी नहीं बताई गई | तो फिर यह रकम सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर ने लगाई हो सकती है | लेकिन फर्म की २०११-१२ से २०१५-१६ की आयकर विवरणी में इसका कोई उल्लेख नहीं है | २०११-१२ की आयकर विवरणी में मात्र तीस लाख पचास हजार की पूंजी जरुर बताई गई है लेकिन बाद के वर्षो में न तो यह पूंजी है और न कभी आयकर पटाया गया|
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संतोष गौतम और सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम से जो जमीन खरीदी गई उसमे से कुछ जमीन रेल लाइन के लिये भूअर्जन में चली गई | ताजुब की बात है कि सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर की जमीन का भुगतान भी संतोष गौतम को कर दिया गया| यही नहीं जो दो एकड़ जमीन संतोष गौतम ने २०१० में २,४९,००० में खरीदी थी वही जमीन ६,४२,००० में मनीष बन्सैया के पार्टनर संतराम को बेच दी|
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अनुजराम आ. मयाराम का कहना है कि ६.२५ एकड़ जमीन का सौदा अशोक अग्रवाल पिता गजानंद अग्रवाल खरसिया के साथ हुआ था| बैंक ऑफ़ बड़ोदा रायगढ़ के ६० लाख से ऊपर के चेक दिये गये जिन पर किसी लुकेश्वर के हस्ताक्षर थे लेकिन सभी चेक बाउंस हो गये|विदित हो कि इसी बैंक से फर्म मनीष बन्सैनिया की और से अशोक अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षर किये लगभग आठ करोड़ के चेक द्वारा शासन को भुगतान किया गया था|
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०७.०८.२०१५ को सचिव छ.ग.शासन को प्रेषित अपने पत्र में कलेक्टर ने लिखा है कि वेदांता कोल वाशरी को भू-अर्जन के माध्यम से ७३.५१ एकड़ जमीन दी गई है एवं इस कोल वाशरी को लाभ पहुँचाने की नियत से आदिवासियों की जमीन मनीष बनसैया, सप्तऋषि इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि द्वारा बिना आदिवासी जाति प्रमाण पत्र, छलपूर्वक एवं बेनामी अंतरण क्रय किया गया है| पटवारी से लेकर एसडीएम स्तर तक के अधिकारियों कर्मचारियों को दोषी पाया गया|
सवाल है कि जब प्रशासन मानता है कि आदिवासियों की जमीन धोखाधड़ी-छलपूर्वक बेनामी अंतरण द्वारा खरीदी गई है तो संबंधितो के विरुद्ध शेड्यूलकास्ट एंड शेड्यूलट्राइब्स ( प्रेवेंसन ऑफ़ एट्रोसिटीज ) एक्ट, बेनामी ट्रांस्जेक्सन एक्ट व प्रेवेंसन ऑफ़ करप्सन एक्ट इत्यादि के तहत कार्यवाही होनी चाहिये थी|
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भू-अर्जन निरस्त कर आदिवसियों को उनकी जमीन वापस दी जानी चाहिये : कुनकुनी का ये घोटाला तो मात्र एक उदहारण है| पूरे रायगढ़ जिले में खासकर ओद्योगिक ब्लाकों खरसिया, रायगढ़, घरघोड़ा और तमनार में ऐसे मामले भरे पड़े हैं जिनके पीछे जिंदल, शारडा, मोनेट, टीआरएन जैसे बड़े औद्योगिक घरानों का हाथ है| मामले में जब तार प्रदेश के रसूखदार मंत्री के परिवार से जुड़े हो तो जरुरी है कि पूरे मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी जाये|
रमेश अग्रवाल – ग्रीन नोबल प्राइज विजेता
जन चेतना, रायगढ़ (छ.ग.)
मो. ९३०१०११०२२
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