पंचमुखी हनुमान मंदिर के समीप ही खरसिया शहर की दिशा तरफ एक और माँ काली जी पहाड़ों की चोटी में बसी हुई है। पिछले कुछ सालों में इस मंदिर का काफी विकास हुआ है और प्रसिद्धि हासिल हुई है। मंदिर के आस-पास का वातावरण शांत और स्वच्छ है। आध्यात्मिक शांति के लिए ये एक सर्वोच्च स्थान है। पहाड़ों में बसे माँ काली तक पहुचने के दो रास्ते हैं। एक में आप सीमेंट की सीढ़ियों से हो कर माँ काली के मंदिर पहुँच सकते हैं वहीँ आप को अगर सीढ़ियों में चढ़ने से परेशानी हो तो आप बाइक या कार से होते हुए दूसरे रास्ते से भी पहाड़ की चोटी तक पहुँच सकते हैं।
चैत्र और शरद नवरात्रिमें यहाँ भक्तो का भीड़ उमड़ जाता है। मंदिर की स्वच्छता, शांत वातावरण और मंदिर के कर्मचारियों, पंडितों का स्नेही स्वभाव आप को बार-बार यहाँ आने को प्रेरित करती है।
शरद और चैत्र नवरात्रिमें यहाँ नवमी को (कन्या भोजन) के दिन हर वर्ष भंडारा लगता हैं। इस भंडारे के लिए आप को किसी निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती अगर इस दिन खरसिया में है तो जरूर पधारे। ये किसी भी अन्य भंडारे से बिलकुल अलग होता है। साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है और आप को बिठा कर खाना परोसा जाता है जिसमे भरपेठ स्वादिष्ट भोजन के साथ नाना प्रकार के अन्य आइटम जैसे रायता, कचोरी, बड़ा, मीठा या इसी प्रकार के अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं।
भक्तो के लिए काली माँ का मंदिर हर रोज़ सुबह 7:30 से 9:30 तक और शाम को 5 बजे से 7:30 बजे तक खुला रहता है। पर आप माँ काली का दर्शन दूर से कभी भी किसी समय कर सकते है। एक बात पर विशेष ध्यान दे कि ये मंदिर पहाड़ों की चोटि पर है अतः आप बच्चों के साथ जा रहे हैं तो उनका उचित ध्यान रखें। वैसे ही अगर आप देर शाम या भोर को जा रहे हैं तो भालुओं से सावधान रहें कभी-कभी जंगली जानवर पानी की तलाश में मंदिर के काफी नजदीक भी आ जाते हैं।
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