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देश के लगभग सभी जिले के बाजार चीनी सामानों से भरा हुआ है। मंत्रालय के आदेश से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। अगर विदेश वालों को बेमानी करना ही है तो पटाखे ही क्यों देश में हो रहे आयात किसी भी सामान में विस्फोटक सामग्रियों का मिश्रण कर भारत में आग लगाने की योजना बना सकते है। मंत्रालय का आदेश राजनीतिक है फिर सच आम जनता की समझ से बाहर है क्योंकि पटाखे में ही विस्फोटक सामग्री मिला हो ये कोई बात नहीं बल्कि देश के बाजार में चीनी सामान यानि इलेक्ट्रिक सामान में से आज वर्तमान बाजार उपलब्ध लगभग सभी सामान बल्ब, प्रेस, हीटर, गीजर और ना जाने कितने सारे सामान हैं जिसमें विस्फोटक कार्ड या फिर बैटरी का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा ही मोबाइल की दुकान में चाइना की मोबाइल पूरे बाजार में उपलब्ध है।
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वास्तव में आदेश देश की सुरक्षा की बात है तो गली गली में बिकने वाले मोबाइल से लेकर टीव्ही इलेक्ट्रानिक सामान व फटाको में पूरी तरह रोक लगना चाहिए। सरकार की मंशा क्या है वो तो संदेह के दायरे में ही दिख रही है। जैसे सरकार ने नर्सिंग होम एक्ट तो बना दिया है लेकिन देश के विभिन्न जगहों में कहीं भी पालन नहीं हो रहा है और अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए अवैध वसूली का साधन बन गया है। ऐसा ही शिक्षा का अधिकार बाल संरक्षण अधिनियम रद्दी की टोकरी में नजर आ रही है। जिले में संचालित निजी स्कूलों के द्वारा कही भी शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं हो रहां है और निजी स्कूल संचालित करने वालों की हाथ पाँव घटोत्कच की तरह बाहें फैला रहे हैं। फीस के नाम पर भारी भरकम वसूली कर बेमानी व दादागिरी पर उतारू हो गए हैं जिसमे पालक पीसे जा रहे है। राजनीतिक गलियारों में अधिकारियों के लिए वसूली का साधन और आम जनता के लिए बहस का विषय बन रहा है। देश के मंत्रालयों से हो रही आदेश का पालन होना चाहिए।
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त्यौहारी सीजन को देखते हुए शहर के फटाका विक्रेताओं ने जमकर स्टाक कर लिए हैं। एक व्यापारी ने नाम नहीं छापने की शर्त में बताया कि वे हर साल त्यौहारी सीजन में पटाखा का व्यवसाय करते हैं और इस बार भी करेंगे जिसके लिए त्यौहार आने के दो महीने पहले ही वे सभी पटाखों की खरीदी कर लेते हैं और जिले के पटाखों का स्टाक करोड़ों में होने की अंदेशा जाहिर किया जिसमे से लगभग 80 प्रतिशत पटाखा चीनी है। जिसकी बिक्री लगातार कर रहे है।
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सरकार के आदेश से मचे हड़कंप के बाद पटाखा व्यापारियों का लगातार सम्बंधित अधिकारियों के दौरे के बाद गया है लेकिन कार्यवाही के लिए नहीं बल्कि खर्चा निकालने के लिए हो रही है।प्रशासन से आग्रह है जो करना है साफ़ नियति से तत्काल कार्यवाही करे ताकि बाजार सुचारू रूप से संचालित हो सके प्रशासन के आधे अधूरे आदेश व परिपालन की कमी से आमजनता भी कशमकश की स्थिति में है।