खरसिया (kharsia) अंचल ऐतिहासिक काल से ही इतिहास के पन्नो पर अंकित है। जिसका सर्वप्रथम प्रमाण नगर से 11 किलोमीटर की दूरी पर रायगढ़ मार्ग पर स्थित सिंघनपुर की पहाड़ी है जहाँ से पूर्व पाषाण युगीन अवशेष के रूप में लाल छिपकली, सांभर, घड़ियाल आदि का चित्र प्राप्त हुआ। पाषाण युग की सबसे प्राचीन गुफा बोतलदा गुफा है जो आज भी अपने पूर्ण अस्तित्व को संजोये हुये है। 700 ईसापूर्व के कुषाणकाल के राजा कनिष्क के सिक्के पुरातत्व विद्वान् डी. के. शाह द्वारा ग्राम टेलिकोट (खरसिया से लगा ग्राम) तथा 319 ईसापूर्व गुप्तकाल के राजा विक्रमादित्य का धनुर्धारी सिक्का खरसिया(Kharsia) से प्राप्त हुआ जो कि एकमात्र सिक्का है।
खरसिया (Kharsia) शहर मर्जर एग्रीमेंट के पूर्व रायगढ़ रियासत के अंदर आता था जिसकी सीमाएं जब्बलपुर, जशपुर, धरमजयगढ़, सारंगढ एवं झारसुगड़ा-संबलपुर रियासत से लगती थी। रायगढ़ रियासत की नींव 500 वर्ष पूर्व महाराजा श्री मदनसिंह ने रखी थी। राजा भूपदेव सिंह, चक्रधर सिंह, ललित सिंह द्वारा गद्दी संभाली गयी। 1854 में भोंसला राज्य ख़त्म होने तथा ब्रिटिश हुकूमत के प्रत्यक्ष आभाव में आने के फतह: यहाँ की रियासते तथा जामिद्दारियों के पूर्व इकरारनामे का नवीनीकरण हुआ तथा 1894 में श्री भवदेव सिंह ज्यूडिशरी चीफ हुए एवं रायगढ़ राज्य का सञ्चालन करते थे। उस समय से ही खरसिया (Kharsia) एक अलग तालुका मानी जाती थी।
सर्वप्रथम खरसिया (Kharsia) नगर की बसाहट पुरानी बस्ती में थी। इसी मोहल्ले से खरसिया (Kharsia) शहर की शुरुआत हुई। नगरपालिका क्षेत्र की अधिकांशतः जमीनें राठौर समाज की थी और उनकी जनसंख्या भी अधिक थी। समय के साथ नगर के रूप में बदलाव होता गया और विकास के पथ पर अग्रसर हुआ। धीरे धीरे बाहर से भी लोग आ कर यहाँ बसना प्रारंभ किये इसी कड़ी में हरियाणा प्रान्त से आये मारवाड़ी समाज ने भी आकर अपना जीवनोरपार्जन प्रारम्भ किया फलतः खरसिया (Kharsia) के व्यापार जगत, रहन सहन और फैशन में भी बहुत बदलाब आया। वर्तमान में खरसिया (Kharsia) शहर बिज़नस हब के रूप में उभर कर आया। मारवाड़ी समाज का धर्म और संस्कृति के प्रति झुकाव ने इस सहर को “धर्म नगरी” के रूप पे एक उपनाम मिला।
खरसिया (Kharsia) : छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिला के अंतर्गत उ. अक्षांश 21-58′-48″ पू. देशांतर 83-05′-03″, समुंद्री तल से 280 मीटर की ऊँचाई पर हाउडा – मुम्बई मुख्य रेल मार्ग पर बिलासपुर जोन के अंतर्गत एक संपन्न शहर है।
खरसिया (Kharsia) जनपद के अंतर्गत 17 हल्का, 77 ग्राम पंचायत तथा 136 आश्रित ग्राम आते हैं। नगर पालिका क्षेत्र 18 वार्डों में बटा हुआ है। खरसिया (Kharsia) का कूल क्षेत्रफल 942.72 वर्ग किलोमीटर है। खरसिया (Kharsia) शहर की कुल आबादी 18939 है जिसमे 9750 पुरुष और 9189 है। 0-6 वर्ष के बच्चों की की संख्या 2215 है जो कि आबादी का 11.7% है। शहर की साक्षरता लगभग 85% है (जनगणना 2011)
खरसिया (Kharsia) अंचल के दार्शनिक स्थल:
बोटल्दा : नगर से 7 किलोमीटर की दूरी पर सकती रोड में एक प्राकृतिक मनोरम स्थल जो कि बोटल्दा झरना रॉक गार्डनके नाम से जाना जाता है। यहाँ प्राकृतिक पहाड़ी-झरना है जो कि 12 माह बहता रहता है। वर्षा ऋतु में यह स्थान किसी स्वर्ग सर कम प्रतीत नहीं होता। ऐतिहासिक काल की सबसे लंबी पहाड़ी गुफा इस स्थान की ऐतिहासिक महत्व को उजागर करती है।
बरगढ़ : 12 किलोमीटर की दूरी पर (वाया बोटल्दा ) भगवन शिव का प्राचीन मंदिर श्री सीधेस्वर नाथ है जहाँ प्रत्येक शिवरात्रि को धूमधाम से मेला लगता है। यहाँ पर सावन माह में कावरियों द्वारा जल अर्पित कर भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है।
पंचमुखी हनुमान मंदिर : रायगढ़ सड़क मार्ग पर स्थित मंदिर पर पूज्यनीय पंचमुखी हनुमान जी विराजमान है। यहाँ पहाड़ी पर माँ दुर्गा भी विराजमान है जो कि एक दार्शनिक स्थल है और आस्था का केंद्र है। और पढ़े पंचमुखी हनुमान मंदिर के बारे में
कबीर मठ : खरसिया (Kharsia) कबीर मठ, सतनामी समाज कबीर पंथियों का तीर्थ स्थान है। यह खरसिया (Kharsia) शहर का सौभाग्य है कि 12 वर्षों में यहाँ एक भव्य चौका पूजन का आयोजन होता है जिसमे देश विदेश के कबीर पंथी साहेब यहाँ एकत्रित होते हैं। प्रत्येक वर्ष गुरुपूर्णिमा का पर्व यहाँ धूमधाम से मनाया जाता है।
गंजबाज़ार : पुरानी हटरी जहाँ पहले खरसिया (Kharsia) शहर का मुख्य बाजार लगता था। गंज बाजार में लगभग 130 वर्षपूर्व खुदाई से भगवन हनुमान जी की मूर्ति प्राप्त हुई थी जहाँ नागर के मुख्याओं द्वारा हनुमान मंदिर बनवाई गयी। इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष को राम सप्ताह का आयोजन किया जाता है। सप्ताह भर मंदिर की अखंड परिक्रमा की जाती है जिसमे ग्रामीण अंचल से आये भजन मंडलियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
भगत तालाब : खरसिया (Kharsia) शहर के ह्रदय स्थल में यह तालाब स्थित है जहाँ भगवन शिव का भव्य मंदिर है। इस तालाब की मुख्य विशेषता है कि यहाँ रंग बिरंगी मछलियां है जो कि इस शहर की अलग पहचान बनाती है।
खरसिया (Kharsia) शहर की सबसे बड़ी पहचान यहाँ की नवरात्री दुर्गा पूजन और दीपावली त्यौहार है। नगर की दुर्गा पूजन पुरे अंचल में प्रचलित है। नौ दिनों तक खरसिया (Kharsia) शहर दुल्हाल की तरह सजी होती है। यहाँ की माँ दुर्गा की मनमोहक प्रतिमा , भव्य पंडाल, झाकियां इस नगर की विशेषता है। नगर में दीपावली, लक्ष्मी पूजा का त्यौहार भी वृहद् रूप में मनाया जाता है।
खरसिया (Kharsia) का रावण दहन भी आस-पास में ग्रामो में काफी प्रचलित है। दसहरा की संध्या दूरदराज के गाओं से लोग आते है और ऐतिहासिक टाउन हॉल मैदान में ऐकत्रित होते हैं। जहाँ पहले से ही मीनाबाजार की धूम रहती है। सालों से इस ऐतिहासिक टाउन हॉल मैदान में रावण का दहन होता रहा है। रावण दहन से पहले शहर के चारो तरफ जुलुस निकाला जाता है और जुलुस के टाउन हॉल मैदान पहुचते ही रावण के पुतले का दहन किया जाता है।
खरसिया (Kharsia) शहर कैसे पहुंचें?
खरसिया शहर पहुचाने का सबसे उचित मार्ग रेल मार्ग है जिसका स्टेशन कोड KHS है। खरसिया रेलवे स्टेशन से बहार निकलते ही आपको ऑटो या रिक्सा बड़ी आसानी से मिल जायेगा। स्टेशन के पास ही रुकने के लिए लॉज वैगरह आसानी से मिल जाते हैं। हवाई मार्ग से पहुचाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा रायपुर का स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। जहाँ से आप ट्रैन, बस या कैब बुक कर के खरसिया (Kharsia) पहुँच सकते हैं।
संकलन सहयोग
- बादल सिंह ठाकुर
- अविनाश पटेल
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